हम अच्छे तो जग अच्छा,
यह झूठ नहीं सच्चाई है ।
ईर्ष्या,जलन तो ठीक नही,
ये तो मन की कुटिलाई है ॥
ना हो हममें द्वेष,भावना,
ना ही हम करें किसी की बुराई ही ।
ना हो कभी अभिमान हमें,
ना दिल में हो चतुराई भी ॥
यदि कोई आगे बढ़ रहा है तो,
उसको और सहयोग करें ।
वह कैसे हो रहा है सफल,
वैसा ही हम भी प्रयोग करें ॥
कभी किसी को बुरा कहने के पहले,
हमें अपने पर भी विचार करना होगा ।
नफरत से नहीं जीते जाते हैं दिल,
हमें प्यार तो पहले करना ही होगा ॥
हमें सम्मान यदि पाना है सबसे,
तो पहले सम्मान हमे देना होगा ।
सबसे बड़ा है धन विनम्रता,
और कुछ पाने के लिये तो खोना ही होगा ॥
हम अच्छे तो जग अच्छा,
यह झूठ नहीं सच्चाई है ।
ईर्ष्या,जलन तो ठीक नही,
ये तो मन की कुटिलाई है ॥
ईर्ष्या,जलन तो ठीक नही,
ये तो मन की कुटिलाई है.....
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
09-11-2013,Saturday,11:30am,(793),
Pune,Maharashtra.