Tuesday 3 September 2013

जब सफ़र कही भी करना हो

जब सफर कहीं भी करना हो तो,
कुछ बातों का ध्यान रहे !
मंजिल तक सुरक्षित पहुचना है तो,
हर समय आप सावधान रहें !!

चलते वाहन मे चढ़ना-उतरना,
किसी दुर्घटना को दावत देना है !
आवश्यक्ता से अधिक सामान लेकर,
अपने लिए मुसीबतें करना है !!

अंजान व्यक्तियों को अपना,
सही पता बतलाएं !
उनकी दी हुई चीजों को,
भूल के भी खाएं !!

खाने-पिने की चीजें साथ मे हो तो,
पैसे बर्बाद नही होंगे !
सीटें अपनी आरक्षित हो तो,
बे-वजह परेशान नही होंगे !!

आभूषण-ज़ेवर कम पहने,
कही चोरों की नज़र पड़ जाए !
सामान पर पैनी नज़र हो अपनी,
कहीं यात्रा मंहगी पड़ जाए !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com


दिनांक-२०/०८/२००१, सोमवार,सुबह ११.३५०बजे,
कोचिन-वाराणसी एक्सप्रेस,पांढुरना एवं बेतुल रे.स्टे. के बीच,




यदि सच्चे अर्थों मे कोई संत है तो,

संत सदा से रहे हैं इस धरा पे,
और आगे भविष्य़ मे रहेंगे भी
उनके ही आशिर्वचनों से,
हम फूल और फल रहे हैं सभी

पर आज के संतों को देखो,
वे अपनी खुब तिजोरी भर रहे हैं
और काम-वासना मे अंधे हो,
संतों के नाम को कलंकित कर रहे हैं

गृहस्थ आश्रम वाले तो,
बेचारे कंगाल हो रहे हैं
पर संत,पादरी,मुल्ला अब,
खुब मालामाल हो रहे हैं

यदि सच्चे अर्थों मे कोई संत है तो,
उसे काम-माल की जरुरत क्यों
धन-दौलत-परिवार बंग्ला,
उन्हें भौतिक सुख की जरुरत क्यों

पाप कर्म कोई भी करे,
पर पाप का घड़ा तो फूटता ही है
इनके ऐसे कृत्यों को देख-देख कर,
लोगों का दिल तो टुटता ही है

पर आज के इस परिवेश मे भी,
बहुत संत ऐसे भी हैं
जिन्हें काम-दाम की चाह नही,
और उनसे आशिर्वाद हमें मिलते भी हैं

और उनसे आशिर्वाद हमें मिलते भी हैं .......


मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com,

03-09-2013,tuesday,1pm,
pune,maharashtra.