मेरी मझधार मे है नइया,आकर इसे उबारो....
हे शेरा वाली आवो, हे पहाड़ा वाली आवो.....२
द्वारे खड़ें हम कब से, तेरी विनती करें हम माता......२
सुनती नही क्युं तुम, रूठी हो क्या तुम माता.....२
कोई राह नही सुझे, तेरे सिवा हे अम्बे.....२
विपदा मे हम फंसे हैं, रस्ता दिखाओ अम्बे....२
अब तो बचाने लाज, हे दुर्गे रानी आओ....
हे शेरा वाली आवो......
दुनिया तुम्हारी माता, जय जय कार करती रहती.....२
भक्तों के दुःख को माँ, हर पल तुं हरती रहती.......२
खाली झोली जो भी ले के, आता है तेरे द्वारे....२
खुशियों से भरती झोली, और देती है तूं सहारे......२
अब अपनी भी झोली भरने, मइया जी तुम तो आवो....
हे शेरा वाली आवो........
त्रैलोक्य मे तो तेरा, कोई नही शानी......२
अब तक ना हुआ है, तुमसे बड़ा कोई दानी......२
ब्रह्मा-विष्णू-शंकर,तेरे सब गुण हैं गाते.....२
वीणा की धुन पे नारद, तेरे ही गीत गाते.....२
अब तो देने किनारा, हे गुफावों वाली आवो......२
हे शेरा वाली आवो, हे पहाड़ा वाली आवो.......२
मेरी मझधार मे है नइया,आकर इसे उबारो....
हे शेरा वाली आव, हे पहाड़ा वाली आवो.....२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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14-10-1999,thursday,5.15pm,
chandrapur,maharashtra.