Wednesday 9 October 2013

देवी स्तुति (अपने बिन्ध्याचल मइया की)


जय-जय कहो,जय कहो,
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....

देशवा-बिदेशवा से आवे नर-नारी...
अमीर-गरीब,निर्धन-भिखारी.....
कहें मिल के मइया की..., सब जय कार हो...
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....

ध्यान लगावें सब मइया के चरण में ....
दर्शन करके खुश होके लौटें घर मे...
मन की मुराद..२ सबकी पुरी करती वो...
अपने बिन्ध्याचल मइया की जय-जय कहो...

गंगा किनरवां माई क मन्दिरवा...
घंटा क ध्वनि गूंजे होत सबेरवा...
लाल-लाल चुंदरी....२ देख  माई क हो..
अपने बिन्ध्याचल मइया की जय-जय कहो...

भक्तों की भीड़ देख माई मुस्काये.....
अपने अंचरवा से सब को सहलाये...
अंधेरे घरवा को...२ रोशन करती वो...
अपने बिन्ध्याचल मइया की जय-जय कहो...

आदि-अनादि,अजन्मा है मइया...
सबकी पालन हार है मइया.....
भक्तों की अपने लाज...२ रखती है वो..
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....

जय-जय कहो,जय कहो,
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
30-04-2000,2.20 pm,sunday,
jogapur village,bhadohi





No comments: