जय-जय कहो,जय कहो,
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....२
देशवा-बिदेशवा से आवे नर-नारी...२
अमीर-गरीब,निर्धन-भिखारी.....२
कहें मिल के मइया की...२, सब जय कार हो...
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....२
ध्यान लगावें सब मइया
के चरण में ....२
दर्शन करके खुश होके
लौटें घर मे...२
मन की मुराद..२ सबकी पुरी करती वो...
अपने बिन्ध्याचल मइया
की जय-जय कहो...२
गंगा किनरवां माई क मन्दिरवा...२
घंटा क ध्वनि गूंजे होत
सबेरवा...२
लाल-लाल चुंदरी....२ देख माई क हो..
अपने बिन्ध्याचल मइया
की जय-जय कहो...२
भक्तों की भीड़ देख माई
मुस्काये.....२
अपने अंचरवा से सब को सहलाये...२
अंधेरे घरवा को...२ रोशन करती वो...
अपने बिन्ध्याचल मइया की
जय-जय कहो...२
आदि-अनादि,अजन्मा है मइया...२
सबकी पालन हार है मइया.....२
भक्तों की अपने लाज...२ रखती है वो..
अपने बिन्ध्याचल मइया की,जय-जय कहो.....२
जय-जय कहो,जय कहो,
अपने बिन्ध्याचल मइया
की,जय-जय कहो.....२
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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30-04-2000,2.20
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