खुश होके दिवाली मनाए हम,
और घरो मे दीप जलाएं !
नफ़रत को जड़ से मिटा करके,
वहा प्यार का अंकुर पनपाए
!!
कोइ भी घर मे अंधेरा
ना हो,
और ना ही कोई भूखा सोए
!
दूध के लिए व्याकुल हो
करके,
ना ही कोइ बच्चा रोए
!!
लोगो को देख-देख करके,
अपने खर्चे नही बढ़ाए !
जितना अपना चादर हो,
उतने ही पैर फ़ैलाएं !!
असली दिवाली तो यही होगी,
लोगो के दिलों मे प्यार की
ज्योति जलाएं !
दुश्मनी को दिल से भुला करके,
वहां दोस्ती का हाथ बढ़ाए
!!
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.com
दिनांक-२०/१०/१९९९,
वुद्धवार,शाम ५ बजे,
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