इस जहां से न्यारे हो,
तुम हम सबके दुलारे हो ।
हे लाल बहादुर जी,
तुम जग से निराले हो ॥
सीधा-सादा जीवन,
विचार तो ऊंचे थे ।
अपने तो लहू से तुम,
भारत को सीचे थे ॥
तुम शांत-चित्त, मृदुभाषी,
व सत्य के पुजारी थे ।
त्याग भरा जीवन,
और बहुत ब्यवहारी थे ॥
जय जवान-जय किसान, का,
प्यारा नारा दिया ।
भारत के दिल को तुमने,
इससे खुशहाल किया ॥
हे लाल बहादुर शास्त्री जी,
तुम्हे कोटि-कोटि है नमन ।
हे भारत मां के लाल,
हम सब का है वन्दन ॥
हे भारत मां के लाल,
हम सब का है वन्दन......
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
www.kavyapushpanjali.blogspot.in
02-10-2013,wednesday,12.15
pm,(763),
pune,maharashtra.
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