आवाज निकलने की देरी थी,
कोटि-कोटि जन आते थे ।
महात्मा गांधी जी के पुकार से,
सब भारत माँ पे मर-मिट जाते थे ॥
कहीं तीर नहीं,तलवार नही,
कहीं नहीं गोलियां चलती थी ।
अंग्रेजों के कानों में,
बस जय हिंद सुनाई पड़ती थी ॥
देश की आजादी के लिये,
उनमें जज्बा अजब निराला था ।
भारत का बच्चा-बच्चा,
आजादी का मतवाला था ॥
सादा जीवन,उच्च विचार,
बापू जी के आदर्श थे ।
सत्य,अहिंशा,भाई-चारा, उनका,
सभी के लियी परामर्श थे ॥
हम सबकी आजादी में,
उन लाखों-लाखों की कुर्बानी थी ।
पर आजादी की लड़ाई में,प्रमुख भुमिका,
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की थी ॥
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
30-09-2013,monday,11:30am(762),
pune,maharashtra
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