तेरी तश्वीर के सहारे ,हम जी लेंगे !
दर्द यादों का, हंसते हुए हम पी लेंगे !!
इन आंखो मे हसी सी, तो ,कभी आती थी !
अब तो बस यादों मे तेरे,ये यहा रोते हैं !!
चाहे कितना भी सितम आए, हम सह लेते थे !
वक्त कैसा हो हम,हंसते हुए रह लेते थे !
देख के प्यार को , अपने तो वे जलते थे !
हममे नफ़रत की दीवार, खड़ी करते थे !!
कोई तूफ़ान ,उड़ा के यहा लाया है !
अब तो बस इसकी ही रज़ा से ,चलने होंगे !!
हमे मालूम नही,अब और कहां जाएंगे !
तेरी तश्वीर को, कब तक हम बचा पाएंगे !!
तेरी तश्वीर के सहारे ,हम जी लेंगे !
दर्द यादों का, हसते हुए हम पी लेंगे !!
तेरी तश्वीर के...........
मोहन श्रीवास्तव (कवि)
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तारीख-२५/०२/२००१, रविवार,शाम- ५.३० बजे,
थोप्पूर घाट, धर्म पुरी (तमिल नाडु)